लक्ष्य का संधान कर
मान कर, सम्मान कर,
संकल्प ले, अनुमान कर।
कर प्रण अटल, दृढ़ निश्चय कर
और लक्ष्य का संधान कर।
मत भूत का संज्ञान कर,
बस धन्य वर्तमान कर।
बढ़ प्रगति पथ पर वर्द्धमान,
भविष्य का अनुसंधान कर।।
योग कर तू योग्य है,
न अयोग्य का तू वियोग कर।
यह जन्म तो संयोग है,
प्रयोग कर प्रतियोग कर।
उद्योग कर, विनियोग कर,
मनोयोग से सहयोग कर।
मत पाल भ्रूम, नियोग कर,
तू कर्मयोगी सुयोग कर।
कर सके अनुकरण कर,
अनुसरण कर, कुछ वरण कर।
प्रभुचरण में अर्पण,प्रवण तू,
प्रणव का स्मरण कर।
परिभ्रमण कर, परिश्रमण कर,
जीवन को तू संस्करण कर।
ना अतिक्रमण कर, परिचरण कर,
सत्संग कर, हरिशरण कर।
परिहास ना प्रयास कर,
परिभाष ना प्रभाष कर।
परिदोष ना प्रदोष कर,
परितोष नार संतोष कर।
प्रहार ना परिहार कर,
संहार ना सब हार कर।
कंचन सा तप और ध्यान कर,
संकल्प ले, अनुमान कर।
कर प्रण अटल, दृढ़ निश्चय कर
और लक्ष्य का संधान कर।।