लक्ष्य
मंत्रमुग्ध हो सुनो गालियां,
व्रत पूरा हो जाने तक।
धैर्य धरो यदि मिले तालियां,
वचन पूर्ण हो जाने तक।।
करो चक्र संधान धर्म हित,
शिशुपाल अंत हो जाने तक।
अपमान सहो धर्म न छोड़ो,
लक्ष्य पूर्ण हो जाने तक।।
सपनों में मत जीना सीखो,
मरना सीखो सपनों में।
“संजय” बाधा आस पास हैं,
परलक्षित हैं अपनों में।।
जै श्री राम
राधे राधे