लक्ष्य से भागता इंसान
मैंने जिंदगी में जो कुछ भी स्वीकारा है वह संघर्ष ही था लेकिन उसी संघर्ष से लोग जाने क्यों दूर भागते रहते हैं और उन्हें तभी लक्ष्य की प्राप्ति नहीं होती है सुबह-सुबह की बात है एक युवा लड़की जोकि 17 वर्ष की थी जो अपने लक्ष्य को पाने के लिए ठंड बरसात किसी भी तरह की परेशानी में भी अपने काम में जुटी रहती लेकिन उसको भटकाने और भड़काने वालों की कमी नहीं थी जब अपने लक्ष्य में झूठे रहो तो कितनी बताएं हमारे सपनों और आगे बढ़ने का तेजस वह सबको यहां तक कि जिनको हम अपना बेस्ट मानते हैं वह भी हमारे पंख काटने के लिए मौके में रहते हैं लेकिन बाहरी मोह माया से निकलकर एक नया संसार बनाने की कोशिश में रहो इस तरह की दुनिया जो बाहरी आडंबर और बराबरी नहीं मदद करने को प्रेरित करें एक नन्ही सी लड़की काव्या जोकि नई सोच और नया कुछ करने के उल्लास में होती थी किसी से भी बात कहने में डरना या हिचकिचाना उसकी आदत में नहीं था उसको ज्यादा जनता के सामने खड़े होकर बोलना उसकी शौक थी सबके सामने खड़े होकर बोलने का उल्लास बना रहता था एक दिन उसको कुछ नया सीखने को मिला उसने अपने दोस्त से बोली क्या तुम प्रश्नों के उत्तर याद किए हो उसके दोस्त ने जवाब दिया कल याद करूंगा और फिर दूसरे दिन पूछने पर फिर से जवाब वहीं था इसी प्रकार इंसान अपने काम को कल कल करके डाल देता है लेकिन वास्तव में कल कभी नहीं आता है पता नहीं कितने कल निकल जाते हैं और इंसान को कभी लक्ष्य की प्राप्ति नहीं होती आपने लक्ष्य को पाए बिना ही जीवन को व्यतीत करता है और बाद में पछताने के सिवाय जीवन में कुछ नहीं बचता है इसलिए लक्ष्य मैं जुटे रहने पर कामयाबी मिलती है यह कहानी हमें यह सीख देती है कि हम अपने काम को कल कहकर ना डालें बल्कि उसे उसी समय उसी पल करने की कोशिश करें क्योंकि हमें बाद में पछताना ना पड़े l