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31 Jul 2018 · 2 min read

लक्ष्य भेद

शीर्षक – लक्ष्य भेद
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‘रमेश’
‘क्या तुमने आज का अखबार देखा’ पत्नी सीमा ने मुझसे कहाl
‘नहीं तो ऎसी क्या खास बात है आज के अखबार में’
‘अरे वो अपने गाँव के रामाधार हे उनकी बेटी की तस्वीर छपी हुई है अखबार में.. आई एस में प्रथम स्थान प्राप्त किया है उसने, अपने जिले की कलेक्टर बनकर आ रही है ‘
सीमा अखबार पढ़कर गाँव की होनहार बेटी के बारे में बताती रही ओर मै आँखे बंद किए अपने गाँव की उन गलियों में पहुच गया जहाँ मेरा बचपन गुजरा थाl
गाँव में हमारे पड़ोसी थे रामाधार चाचा l पूरा परिवार दकियानूसी विचारो से भरा हुआ था l पढे लिखे तो थे लेकिन नाम मात्र के, जिनके परिवार में बेटी का होना बोझ माना जाता था l चाचा की शादी होकर आयी .. तो चाची उस पारिवार के लिए किरण बनकर आयी. उन्होंने उस परिवार में पहली बार किसी बेटी को जन्म दिया l कितना हंगामा हुआ था, चाची को जानवर की तरह मारा पीटा गया , कई कई दिनो तक भूखा रखा गया लेकिन चाची अपनी जिद पर कायम रही कि वह अपने परिवार से बेटियों के लिए नफरत खत्म करके रहेगी .. अतः बदलाव आया परिवार को झुकना पड़ा l बेटी को स्कूल भेजा गया.. ओर वो पढ़ती गई… बढती गई… I
ओर आयी है कलेक्टर बनकर.l
‘कहां खो गए’
सीमा की आवाज से मेरी तंद्रा टूटी l
‘सुनो जी, हम भी अपनी बेटी को खूव पढ़ाएगे ओर आगे बढ़ाएंगे l
सीमा की बात सुन मै अपनी बेटी को सजल आँखो से देख रहा था ओर सीमा देख रही थी अपनी बेटी के आई एस होने का सपना……

राघव दुबे
इटावा (उ0प्र0)
8439401034

Language: Hindi
504 Views
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