लकी
लकी,
सुबह के नौ बज़े सृजन चायका कप लिये टीवी देख रहा था की मोबाईल की रिंग….
“सो रहे थे क्या ?”
आवाज़ सुनकर सृजन की आवाज़ में ख़ुशी छा गयी…..वो आवाज़ ,जिसके बगैर उसकी रातें नहीं ढलती -सुबह शुरू नहीं होती।उसकी ख़ास मित्र अनेरी … दो साल से यू .एस मास्टर्स करने गयी थी ।कॉलेज में सबसे ब्रिलियंट …महत्वकांक्षी और उतनी ही सृजन के उसके प्रति प्यार से अन्ज़ान।
“यार, तू ऐसे ही रह जाएगा,तुजसे नहीं होनेवाला प्यार का इज़हार ।”फ्रेंड्स कहते
लेकिन सृजन अनेरी के सपनो की ऊंची उड़ान देख कर चूप रह जाता।रिज़ल्ट के बाद तुरंत ही छोटी सी पार्टी देकर वो चली गयी थी।सृजन अपने घर के बिज़नेस में खो गया, लेकिन रोज़ अनेरी को याद कर अपनी तक़दीर में आयी इस जुदाई से बूझ सा गया था।फोन से बातें होती रहती ,एकदूसरे से अपने और नए दोस्तों के पिक्चर्स शेर करते।
… और ,बिना कुछ बताए अनेरी ने रात को यु .एस से लौटने की और “एक घंटे में मिलने आ रही हूँ “का सरप्राइज़ दे दिया। सृजन को दोस्त की बताई हूँई बात याद आयी की अनेरी के घरवाले उसके लिये लड़का ढूंढ़ रहे थे ।एकदम से नर्वस फील करता तैयार तो हो गया, लेकिन अगर अनेरी अपनी शादी का कार्ड देने आयी होगी, तो कैसे सामना करेगा ?सोचकर हाथ में मोबाईल लिये बैठा रहा ,
‘सृजन बेटा ,जल्दी आओ देखो तुम्हारी फ़्रेन्ड अनेरी आयी है”सुनकर लिविंग रुम की तरफ भागा।ओर ज्यादा खूबसरत लग रही अनेरी को देख आंखो में और दिल में प्यार का तूफ़ाॅंन उमड़ आया ,लेकिन काबू रखते हुए…
“ओह… हाय, कैसी हो ?प्लेसंट सरप्राइज़ !!
मम्मी नास्ता तैयार कर रही थी और बातो में अचानक से अनेरी ने पूछा,
“मैं अपने आपको लकी समज़ूॅंगी ,अगर मेरे पापा तुम्हारे पापा से हमारी शादी के बारे में पूँछे और तुम “हाँ”कह दो,मै पूरी जर्नी के दरमियान नर्वस हो रही थी।”
दो सेकण्ड के लिये एकदम चुपकी छा गयी।
और सृजन थोड़ा सीरियस मुँह बनाकर ,
“थोड़ा सोच लेता हूँ ”
मम्मी ने टेबल पर से डिश देते हुए ,
“क्यों जूठ बोल रहा है ?अनेरी की यादमें तो तू कितना मर रहा है ,सारी दुनिया को पता है.”
…और सब हँस पड़े ।
-मनीषा जोबन देसाई