#लंबी_कविता (तवील नज़्म)-
#दिल_के_रिश्ते-
■ दुनिया में लाखों रिश्ते हैं।।
(दीन-दुनिया के अनगिनत रिश्ते-नातों को कविता रूपी एक सूत्र में पिरोने का अभिनव प्रयास कविता के सुधि पाठकों को सादर समर्पित)
【प्रणय प्रभात】
रिश्तों का जमघट है दुनिया।
दुनिया में लाखों रिश्ते हैं।।
रिश्तों पर व्यवहार टिका है,
रिश्तों पर संसार टिका है।
कुछ रिश्ते हैं दाम के रिश्ते,
कुछ रिश्ते हैं काम के रिश्ते।
कुछ रिश्ते हैं नाम के रिश्ते,
कुछ बस दुआ सलाम के रिश्ते।
हर रिश्ते की जात अलग है,
हर रिश्ते की बात अलग है।
रिश्तों की सौगात अलग है,
रिश्तों की औक़ात अलग है।
दुनिया में लाखों रिश्ते हैं।।
कुछ रिश्ते शाला के रिश्ते,
कुछ रिश्ते माला के रिश्ते।
कुछ रिश्ते हाला के रिश्ते,
तो ‘कुछ मधुशाला के रिश्ते।
कुछ रिश्ते बस चार दिनों के,
कुछ रिश्ते बारह महिनों के।
कुछ रिश्ते साहिल के रिश्ते,
कुछ रिश्ते मंज़िल के रिश्ते।
कुछ रिश्ते महफ़िल के रिश्ते,
हक़ के या बातिल के रिश्ते।
दुनिया में लाखों रिश्ते हैं।।
कुछ रिश्ते हैं पहचाने से,
कुछ रिश्ते हैं अंजाने से।
कुछ रिश्ते हैं मयख़ाने से,
कुछ रिश्ते हैं वीराने से।
कुछ रिश्ते दिल बहलाते हैं,
कुछ रिश्ते दिल तड़पाते हैं।
कुछ रिश्ते कुछ दे जाते हैं,
कुछ रिश्ते सब ले जाते हैं।
पंख और परवाज़ के रिश्ते,
साज और आवाज़ के रिश्ते।
दुनिया में लाखों रिश्ते हैं।।
दिल से उठे जुनून के रिश्ते,
दूध के रिश्ते, खून के रिश्ते।
कुछ रिश्ते कानून के रिश्ते,
माँस और नाखून के रिश्ते।
भाव के रिश्ते, राज़ के रिश्ते,
नाज़ अदा-अंदाज़ के रिश्ते।
मंदिर-मस्जिद – गुरूद्वारे के,
कुछ गलियों के चौबारों के।
कुछ रिश्ते वीरान डगर के,
कुछ रिश्ते अंजान नगर के।
दुनिया में लाखों रिश्ते हैं।।
कुछ रिश्ते आँगन के रिश्ते,
कुछ रिश्ते बचपन के रिश्ते।
दीवाली – होली के रिश्ते,
राखी के, रोली के रिश्ते।
फागुन के, सावन के रिश्ते,
उपवन के मधुवन के रिश्ते।
गुलमोहर की छाँव के रिश्ते,
शहर के रिश्ते, गाँव के रिश्ते।
कुछ रिश्ते हैं ख़ामोशी के,
कुछ रिश्ते हैं मदहोशी के।
दुनिया में लाखों रिश्ते हैं।।
कुछ रिश्ते हैं बेकारी के,
कुछ रिश्ते हैं बेगारी के।
कुछ रिश्ते ताक़त के रिश्ते,
कुछ रिश्ते इज्ज़त के रिश्ते।
कुछ रिश्ते मेहनत के रिश्ते,
कुछ रिश्ते दौलत के रिश्ते।
कुछ रिश्ते बस धर्म के रिश्ते,
कुछ रिश्ते बस कर्म के रिश्ते।
मन के रिश्ते, मर्म के रिश्ते,
कुछ रिश्ते बस शर्म के रिश्ते।
दुनिया में लाखों रिश्ते हैं।।
कुछ रिश्ते दहलीज़ की हद तक,
कुछ की सीमा है अनहद तक।
कुछ रिश्ते यौवन के मद तक,
कुछ रिश्ते केवल सरहद तक।
कुछ रिश्ते मरने-जीने के,
कुछ रिश्ते आँसू पीने के।
कुछ रिश्ते दुश्वार बहुत हैं,
कुछ रिश्ते हमवार बहुत हैं।
कुछ रिश्ते लाचार बहुत हैं,
कुछ रिश्ते ग़मख्वार बहुत हैं।
दुनिया में लाखों रिश्ते हैं।।
कुछ रिश्ते फुर्सत के रिश्ते,
प्रेम, दया, नफ़रत के रिश्ते।
कुछ हैं हाथ मिलाने वाले,
कुछ हैं गले लगाने वाले।
कुछ रिश्ते नैनों के जल के,
कुछ चूड़ी-बिंदिया काजल के।
हर रिश्ते की चाल अलग है,
हर रिश्ते की खाल अलग है।
हर रिश्ते का रंग अलग है,
हर रिश्ते का ढंग अलग है।
दुनिया में लाखों रिश्ते हैं।।
भूख के रिश्ते, प्यास के रिश्ते,
दर्द-घुटन, संत्रास के रिश्ते।
कुछ रिश्ते आभास के रिश्ते,
कुछ रिश्ते उपहास के रिश्ते।
कुछ रिश्ते पनघट के रिश्ते,
कुछ रिश्ते मरघट के रिश्ते।
कुछ रिश्ते दुनियादारी के,
कुछ रिश्ते हैं लाचारी के।
कुछ-कुछ रिश्ते बीमारी से,
कुछ-कुछ लगते चिंगारी से।
दुनिया में लाखों रिश्ते हैं।।
कुछ रिश्ते हैं देह गलाते,
कुछ रिश्ते बस आग लगाते।
शब्द-रूप-रस-गंध के रिश्ते,
गीत के रिश्ते, छंद के रिश्ते।
शौक़ के रिश्ते, एब के रिश्ते,
कुछ रिश्ते बस जेब के रिश्ते।
कुछ रिश्ते आहट के रिश्ते,
कुछ रिश्ते घूँघट के रिश्ते।
पैर पुजाने वाले रिश्ते,
शीश झुकाने वाले रिश्ते।
दुनिया में लाखों रिश्ते हैं।।
कुछ रिश्ते आशीष के रिश्ते,
कुछ रिश्ते बख़्शीश के रिश्ते।
रिश्तों के अम्बार लगे हैं,
रिश्तों के बाज़ार लगे हैं।
कुछ रिश्ते जो बिक जाते हैं,
कुछ रिश्ते बेचे जाते हैं।
कुछ रिश्तों की नीलामी है,
कुछ रिश्तों में बदनामी है।
कुछ रिश्तों में रंग बहुत हैं,
कुछ रिश्ते बदरंग बहुत हैं।
दुनिया में लाखों रिश्ते हैं।।
दुनिया रिश्तों का जंगल है,
रिश्तों का ही कोलाहल है।
रिश्तों से जीवन जीवन है,
रिश्तों से घर है, उपवन है।
रिश्तों से होली – दीवाली,
रिश्तों से हर रीत निराली।
रिश्तों से डरती है दुनिया,
रिश्तों पर मरती है दुनिया।
रिश्तों को पीती है दुनिया,
रिश्तों से जीती है दुनिया।
दुनिया में लाखों रिश्ते हैं।।
इन सारे रिश्तों से बढ़ कर,
इन सारे रिश्तों से ऊपर।
इक रिश्ता अंजान सा रिश्ता,
इक रिश्ता दिल – जान सा रिश्ता।
उस रिश्ते का नाम नहीं है,
उस रिश्ते का दाम नहीं है।
उस रिश्ते का अन्त नहीं है,
पतझड़ और बसंत नहीं है।
रूप नहीं है, गंध नहीं है,
लहरें या तटबंध नहीं है।
दुनिया में लाखों रिश्ते हैं।।
वो रिश्ता सबसे अच्छा है,
वो रिश्ता सबसे सच्चा है।
उस रिश्ते का छोर नहीं है,
ऐसा रिश्ता और नहीं है।
उसका बस अनुभव होता है,
साँसों में कलरव होता है।
नहीं बनाए से बनता है,
नहीं मिटाए से मिटता है।
क़ैद नहीं जो दीवारों से,
नहीं भीगता बौछारों से।
दुनिया में लाखों रिश्ते हैं।।
जीवन में रचता-बसता है,
नहीं कभी ताना कसता है।
जीवन के संग-संग चलता है,
साँसों के संग-संग पलता है।
निश्छल सी मुस्कान लुटाता,
भावों का सौरभ महकाता।
वो मौसम सा नहीं बदलता,
सागर है पर नहीं उछलता।
शीतल है पर नहीं गलाता,
जलता है पर नहीं जलाता।
दुनिया में लाखों रिश्ते हैं।।
भटको तो मंज़िल दिखलाता,
जीवन का विश्वास जगाता।
अंजाना पर, पहचाना सा,
पहचाना पर, अंजाना सा।
दूर बहुत जो अनुबंधों से,
दूर देह के सम्बन्धों से।
दूर दृष्टि की सीमाओं से,
दूर मार्ग की बाधाओं से।
दूर क़सम दावों-वादों से,
दूर बहुत जो फ़रियादों से।
दुनिया में लाखों रिश्ते हैं।।
पावन पूजा की थाली सा,
चिन्तित बगिया के माली सा।
तम के बीच उजाले जैसा,
ऊँचा बहुत हिमाले जैसा।
गति जिसकी निर्झर जैसी है,
प्रकृति ढाई आखर जैसी है।
अनुभव की ऊँचाई जिसमें,
सागर सी गहराई जिसमें।
शैशव और तरूणाई जिसमें,
प्रतिबिम्बित परछाई जिसमें।
दुनिया में लाखों रिश्ते हैं।।
मोल नहीं पर मोल बहुत है,
वो रिश्ता अनमोल बहुत है।
हार-हार जो जीत मानता,
खो देने का मूल्य जानता।
झूठा नहीं दिखावा करता,
बिना भूल पछतावा करता6।
नहीं कभी जो गर्वित होता,
नहीं कभी जो विचलित होता।
वो रिश्ता दिल का रिश्ता है,
वो रिश्ता दिल का रिश्ता है।
कहने को लाखों रिश्ते हैं।
दुनिया में लाखों रिश्ते हैं।।
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#आत्मकथ्य-
मेरे सृजनकोश की सबसे बड़ी बीस कविताओं में इससे लंबी रचना शायद ही हो। मात्र एक शब्द पर केंद्रित यह कविता भाव पल्लवन का एक उदाहरण मान सकते हैं आप। पूरी कविता बिना विराम न लिखी जाती, तो इस तरह की उन आधा सैकड़ा से अधिक रचनाओं के खानदान का हिस्सा बन जाती, जो सालों से अधूरी पड़ी हैं और जिनके पूरे होने की कोई सम्भावना नहीं। उन्हीं से सीख मिली कि किसी रचना को आरंभ करने के बाद पूरा कर के ही दम लो। बस,,, परिणाम आज आपके सामने है।
●संपादक/न्यूज़&व्यूज़●
श्योपुर (मध्यप्रदेश)