लंबा सफ़र
है नहीं ये सफ़र
किसी पड़ोसी शहर का
एक लंबे सफ़र पर चला हूँ
कभी साथी मिल जाता है
कभी राह पर अकेले ही चला हूँ
मिले है जो कांटें राह में
उन्हें रौंदकर आगे बढ़ा हूँ
मंज़िल पाने का मज़ा ही नहीं चाहिए
इस सफ़र का भी मज़ा ले रहा हूँ
पहुंचना मंज़िल पर आसान नहीं
तभी थोड़ा वक्त ले रहा हूँ
कुछ खट्टे कुछ मीठे
इस राह में अनुभव लिए जा रहा हूँ
किसी ने बुरा किया तो
उसे मैं कुछ कहता नहीं
मैं तो अपनी धुन में जिए जा रहा हूँ
बहुत से लोग समझते हैं
जाने क्यों अनाड़ी मुझे
फिर भी उनका साथ दिए जा रहा हूँ
है रास्ता मंज़िल का लंबा
इसी लिए थोड़ा वक्त ले रहा हूँ
ख़ुशियां दी किसी ने
किसी ने ग़मों का पहाड़ दिया
जो जिससे मिला हमको
हमने तो सहर्ष स्वीकार किया
अब कोई चाहता है कि अपने
कदम भी बढ़ाऊँ उसकी इच्छा से मैं
ये तो मुझसे हो न पाएगा
बढ़ना है मंज़िल की तरफ़ जिस राह से
वो राह तो मैं ख़ुद ही चुनूँगा
मुझे बैसाखियों की नहीं, साथियों की ज़रूरत है
ये सफ़र मेरा है, मैं ख़ुद ही तय करूँगा
है रास्ता मेरे सफ़र का लंबा
इसी लिए थोड़ा वक्त ले रहा हूँ