पृथ्वी
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
"Every person in the world is a thief, the only difference i
कामयाबी के पीछे छिपी पूरी ज़वानी है,
चाँद पर रखकर कदम ये यान भी इतराया है
*बे मौत मरता जा रहा है आदमी*
मैं सोचता हूँ कि आखिर कौन हूँ मैं
जाओ हम पूरी आजादी दे दिये तुम्हें मुझे तड़पाने की,
एक नासूर हो ही रहा दूसरा ज़ख्म फिर खा लिया।
संविधान में हिंदी की स्थिति
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
कहानी उसके हाथ में है, वो..
*वही एक सब पर मोबाइल, सबको समय बताता है (हिंदी गजल)*
दोहे
Sarla Sarla Singh "Snigdha "
काफी लोगो ने मेरे पढ़ने की तेहरिन को लेकर सवाल पूंछा
आस्मां से ज़मीं तक मुहब्बत रहे
अगर मैं तमाचा जड़ दूं किसी के अहम पर तो हंगामा ही तो होगा।।