रज़ा-ऐ-रब
तरक़ीब जब जहाँ फ़िसलती हैं ।
क़िस्मत से चीजें वहाँ मिलतीं हैं ।
रखता है फ़िक्र वो सभी की ,
क़िस्मत रज़ा-ऐ-रब मिलती है ।
….. विवेक दुबे©…..
तरक़ीब जब जहाँ फ़िसलती हैं ।
क़िस्मत से चीजें वहाँ मिलतीं हैं ।
रखता है फ़िक्र वो सभी की ,
क़िस्मत रज़ा-ऐ-रब मिलती है ।
….. विवेक दुबे©…..