रौशनी
रौशनी
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पथ अँधेरे,
फिर भी कदम हैं बढ़ रहे,
एक रौशनी की आश में,
तुझे पाने की आश में।
पथ है कठिन,
पर हौंसले मेरे,
अनवरत बढा़ रहे,
आश को जगा रहे।
मुझे भान है,
तू है यहीं,
चल रही कहीं और तू,
ढूँढूँगा मैं ही सही,
चाहे तू जाओ कहीं
————————————— मनहरण मनहरण