रौशनी
१.
शाम से मिलने को ही तो सुबह खिली खिली सी नजर आती है
दिन भर चलती है फिर थक कर प्रीतम के बाहों में सिमट जाती है ।
… सिद्धार्थ
२.
ये टिमटिमाती शोख रौशनी,
ये अंधेरे को चीरती हजारों
रंग – बिरंगी जुग्नुओं का कारवां
कितना दूर धकेल पाएगी अंधेरे को…
अपने ज़द को ही तो बस रौशन कर पाएंगी
कहां गरीबों के घर आंगन तक जा पाएंगी…
है बहुत घना अंधेरा, अंदर भी और बाहर भी
कुछ कतरा नही, रौशनी का सैलाब चाहिए
कुछ जिद्दी पूनम का महताब चाहिए
तभी तो अंधेरे अंगनों में भी रौशनी मुस्काएंगी
साहिबों के डेउड़ी से झोपड़ी के दलानों तक
बस स्वेत वसना रौशनी खिल खिलाएंगी …
#सिद्धार्थ