रोशनी
अँधेरें का सीना चीर जहाँ को रोशन कर दो
निर्धन की कुटिया में तनिक उजाला भर दो
टिमटिमाते तारों का भी वजूद है आसमां में
स्नेह व प्रेम का दीप जला दिलों को रोशन कर दो ।।
पूनम का चाँद भी रोशनी बिखेरे जग में
सूरज की चंचल किरणें तम हरे पल भर में
घोर तिमिर में ज्योति- पुंज बन जायें हम
नई चेतना जागृत कर उजियारा करें जीवन में ।।
ज्ञान- ज्योति की रोशनी से अज्ञानता दूर करें
भ्रष्टाचार व अनाचार जड़ से निर्मूल करें
शिक्षा का दीप जला नया जहाँ बनायें
जन मानस के अन्तस् में सद्गुण भरपूर भरें ।।
सूनापन हटा दें हम दिव्यांगों के जीवन से
अँधियारा दूर कर दें हम उनके हृदय से
काँटे चुनकर भर दें उमंग व जोश मन में
रोशनी की किरण फैले उनके तन- मन में ।।
प्यार की रोशनी कर दें सारी उलझनें सुलझ जायें
बच्चों व नारियों पर कोई अत्याचार न कर पाये
दूर अँधियारा कर सदाचार का सबक़ सिखायें
सुख- शांति की रोशनी फैले ऐसा हम जहाँ बनायें ।।
** मंजु बंसल **
जोरहाट