रोशनी सी बिखेरते हैं
रोशनी सी बिखेरते हैं. …
हर एक मौसम में रोशनी सी बिखेरते हैं
ये चाँद सा चेहरा तेरा ,
चाँदनी के फूल सी पाक मुस्कान तेरी,
हीरे सी तराशी दो आँखें तेरी,
चम्पई सोने सा बदन तेरा,
ये रेशमी चमकते गेसू तेरे,
माथे पर चमचम चमकती बिन्दिया तेरी,
दमकता सा ये हीरे का लौंग तेरा,
कजरारी सी चमकती नजरें तेरी,
छनकती काँच की चूड़ियाँ तेरी,
छमकती हुईं पाज़ेब तेरी,
सूर्ख़ लाल लब तेरे,
ग़ुलाबी सी मदहोशी तेरी,
हर वक्त धधकते अरमान तेरे,
हर अंधेरे को मुझसे दूर करते
रौशन करते, मखमली धूप से
ये जज़्बात तेरे…
हर एक मौसम में बस रोशनी सी बिखेरते हैं ।।
©मधुमिता
पहली पंक्ति वसी शाह से