रोशनी में हमें तिमिर ही मिले
**रोशनी में हमें तिमिर ही मिले**
**************************
रोशनी में हमें तो तिमिर ही मिले,
वो चले जो गए तो न फिर ही मिले।
देख ली हर दिशा तुम कहीं ना मिले,
बस मिले तो मिले ये हिजर ही मिले।
देखता ही रहा राह उसकी यहाँ,
जिंदगी में हमेशा फिक्र ही मिले।
दर बदर ठोकरें प्यार में है मिली,
बात ही बात में बस जिक्र ही मिले।
प्रेम की ये डगर है न राहत भरी,
चाहतों के मुझे ये शिविर ही मिले।
मन से सीरत सदा पूछता ही रहा,
रात को क्यों न कोई मिहिर ही मिले।
****************************
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)