रोशनी का देवता
रोशनी का देवता
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सूरज पहले भी उगता था,रोशनी भी होती थी,,,,,लेकिन ये रोशनी सिर्फ एक वर्ग के हिस्से आती थी लेकिन एक दूसरा वर्ग इस रोशनी से वंचित था,,,ये वर्ग था काम करने वालों का वर्ग।
जिन्हें नाम दिया गया था शुद्र।।।
ये एक ऐसा वर्ग था जिन्हें सूरज भी रोशनी तो मिलती थी,लेकिन ये रोशनी उनके जीवन के अंधेरे को नहीं मिटा पाती थी।।
किसने बनाया इन्हें शुद्र??किसने बांटा लोगों को काम के आधार पर?किसने की थी ये वर्ण व्यवस्था???
इन सवालों का जवाब किसी के पास नहीं था,,न आज है।।ये बेबस थे लाचार और कमजोर थे इसलिए इन पर शक्तिशाली वर्ग शासन करता रहा।
और ये सब सहते रहे,,और कोसते रहे अपनी किस्मत को।।।लेकिन इन्हें क्या पता था कि इनका भाग्य के भरोसे बैठना ही इनकी कमजोरी है ।।ये जीते रहे,,,इस उम्मीद के साथ कि कभी तो इनके हिस्से रोशनी आएगी।।।आखिर एक दिन ये रोशनी आ ही गई,,ये सिर्फ रोशनी नहीं थी ,उम्मीदों का सूरज था।।
ये सूरज निकला “भारत भूमि महू छावनी(महारवाड़ा) मध्यप्रदेश में 14 अप्रैल 1891” को सूबेदार रामजी और भीमाबाई की कोख से 14वीं संतान “भीमराव रामजी अम्बेडकर” के रूप में ।।।
बचपन से ही ये कुशाग्र बुद्धि के बालक रहे।। अछूत शुद्र कहकर इन्हें अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ा,,लेकिन इन्होंने कभी हार नहीं मानी।।।इन्होंने बचपन से ही ठान लिया था कि ये समाज के लिये जियेगें और इसमें साथ दिया इनकी पत्नी रमाबाई ने।।
युवा भीम ने 1913 में बॉम्बे से BA पास होकर कोलंबिया विश्वविद्यालय न्यूयॉर्क अमेरिका गए, और उन्होंने अनेक उच्च शिक्षा प्राप्त की।।भीम के संघर्ष और क्रांतिकारी जीवन के ऐतिहासिक अवसर प्रकट होने लगे थे।।
उन्होंने एक अवसर पर कहा था -” मैं एक बहादुर सैनिक का पुत्र हूँ, कायर नहीं हूं।मैं मौत के भय से यहां से हटने वाला नहीं हूं।।”
ये बात 1927 में महाड़ तालाब के पानी को पीने के लिये सत्याग्रह किया था तब कही थी।।
भीमराव ने अनेक आंदोलन किये,अनेक सत्याग्रह चलाये,अनेक पुस्तकों का लेखन और प्रकाशन किया।
इन्हें काफी उच्च पदों पर भी नियुक्त किया गया लेकिन इन्होंने सब कुछ छोड़ दिया,,,क्योकि भीमराव ने एक आधुनिक भारत का जो सपना देखा था,,उसे पूरा जो करना था,,हर हाल में हर कीमत पर।।
उन्होंने लोगों की सुसुप्ता को जगाया ओर उन्हें अपनी क्षमता को पहचानने के लिए जाग्रत किया और बताया कि-तुम अपनी शक्तियों का प्रयोग अपनी दीनता,दरीद्रता,दासता से मुक्ति पा सकते हो और शिक्षा,विद्या,सत्ता,संपत्ति,सम्मान,समानता,और बंधुत्व प्राप्त कर सकते हो।
कई बार डॉ भीमराव की हत्या का प्रयास भी किया गया लेकिन इसमें विरोधियों को असफलता ही हाथ लगी।।
डॉ भीमराव ने सामाजिक,आर्थिक,राजनैतिक,धार्मिक आदि पर अपने विचार दिए है,,और ये विचार एक स्वच्छ समाज के लिये नितांत आवश्यक है।।
•आदमी को केवल रोटी के लिये नहीं जीना है उसे मष्तिष्क को भी विचारों की खुराक देनी चाहिये।।
•हम सबसे पहले और अंत में, भारतीय हैं।
•जीवन लम्बा होने की बजाय महान होना चाहिए।
•मैं ऐसे धर्म को मानता हूँ जो स्वतंत्रता, समानता और भाईचारा सिखाता है।
•मैं एक समुदाय की प्रगति का माप महिलाओं द्वारा हासिल प्रगति की डिग्री द्वारा करता हूँ ।
डॉ भीमराव अम्बेडकर अपने संघर्ष में सफल रहे,उन्होंने भारतीय संविधान की रचना कर उसे भारत राष्ट्र स्वीकृति प्रदान कराकर दलितों की आजादी और सफल बना दिया।। उन्होंने आजादी की लडाई और दलित मुक्ति आंदोलन को एक स्वर,एक पथ और एक दिशा देकर अपने राष्ट्रप्रेम का अद्वितीय उदाहरण प्रस्तुत कर भारत मे एक नये राष्ट्र और एक नई आजादी की स्थापना कर दी।
संविधान जो प्रत्येक मनुष्य को समानता,स्वतंत्रता का अधिकार देता है।।इसके अनुसार न कोई छोटा है बड़ा,न कोई अछूत न कोई निम्न।।
सभी को समानता का अधिकार है।।
अम्बेडकर ने सिर्फ एक वर्ग विशेष को समानता का अधिकार दिया,बल्कि महिलाओं के लिए भी अधिकार दिये।।उन्हें शिक्षा लेने के लिये नियम कानून बनाये।।।
सदियों से तोड़े गए,खंड खंड में टूटे राष्ट्र को डॉ अम्बेडकर ने अपने वैचारिक रसायनशाला में ऐसे जोड़ दिया, कि लगा कि वह कभी टूटा ही नहीं था ।
बाल जीवन से जीवन के अंतिम दिनों तक जिस हिन्दू राष्ट्र ने उन्हें असीम,मानसिक पीड़ा पहुचाई हो,घोर अपमान और तिरस्कार किया हो,बार बार बहिष्कृत किया हो,उस डॉ अम्बेडकर ने हिन्दू राष्ट्र को कितना त्याग,कितना विशाल और कितना महान स्वरूप भारतीय संविधान देकर अनुग्रहीत किया,,,यह डॉ अम्बेडकर की महानता का अक्षु साक्ष्य है।।
और आज उन्हीं के दिये संविधान से ही महिलाएं प्रत्येक क्षेत्र में उचाइयां और कीर्तिमान स्थान बना रही है।।।
डॉ अम्बेडकर के “आधुनिक भारत का सपना” तो पूरा हो रहा है,,,
लेकिन उनका “जातिमुक्त भारत का सपना” अभी भी सपना है।।
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“ज़िन्दगी” में उजाला बाबासाहब की वजह से हैं
वरना सूरज तो पहले भी था..
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