रोला
रोला
देखा रूप विराट , कृष्ण का
अर्जुन बोले।
देना प्रभु तुम साथ, हृदय पट
तुमने खोले।।
देकर ज्ञान अगाध, सुगम की
राहें मेरी।
भीषण रण में नाथ, धर्म की
बाजी भेरी।।
देकर गीता ज्ञान, मोक्ष के
द्वारे खोले।
हारे का दे साथ, झूठ के रिश्ते
तोले ।।
जाना सबको छोड़,जगत की
विराट माया।
जन्म मरण का खेल, समझ नहिँ
कोई पाया।।
गीता का है सार, काम शुभ
करते जाना।
किस्मत का जो लेख, वही है
सबको पाना।।
करनी रूप विराट, कर्म के वश
सब होते ।
दुख सुख का है फेर, भाग्य से
पाते खोते ।।
सीमा शर्मा “अंशु”
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