रोला छंद . . . .
रोला छंद . . . .
हृदय न माने बात, कभी वो काम न करना ।
सदा सत्य के साथ , राह पर चलते रहना ।
पथ में अनगिन शूल , करेंगे पैदा बाधा ।
जीवन का संकल्प , छोड़ना कभी न आधा ।
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जब तक तन में साँस , बहे यह जीवन धारा ।
विपदाओं से यार, भला कब जीवन हारा ।
सुख – दुख का यह चक्र , सदा से चलता आया ।
उस दाता के खेल, जीव यह समझ न पाया ।
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जब होता अवसान ,मृदा में मिलती काया ।
जब तक चलती साँस , साथ में चलती छाया ।
भोगों में यह जीव , सदा ही लिपटा रहता ।
भक्ति भाव को छोड़, काम को जीवन कहता ।
सुशील सरना / 15-11-24