रोला छंद
रोला छंद
व्याकुल मन की बात, किसी से कही न जाती ।
तनहाई में पीर, प्रेम की बहुत सताती ।।
नींद निभाती बैर, आँख भी रो – रो हारी ।
पल -पल करती याद, सजन को यह दुखियारी ।।
सुशील सरना / 25-10-24
रोला छंद
व्याकुल मन की बात, किसी से कही न जाती ।
तनहाई में पीर, प्रेम की बहुत सताती ।।
नींद निभाती बैर, आँख भी रो – रो हारी ।
पल -पल करती याद, सजन को यह दुखियारी ।।
सुशील सरना / 25-10-24