रोम रोम में बेचैनी और आँखों में आँसू लायी.
आज फिर तेरी याद आई-२
रोम रोम में बेचैनी और आँखों में आँसू लाई,
आज फिर तेरी याद आई-२ !!
देखता हूँ राह घर आँगन में,
न जाने कब आओगी तुम ?
तुलसी भी है अब मुरझाई,
रोम रोम में बेचैनी और आँखों में आँसू लाई, .
आज फिर तेरी याद आई -२ !!
चेहरा तेरा याद कर-कर के,
तारीफे तेरी सोच-सोच के,
ना जाने कहा नींद गुम हुई,
लिखता हूँ अब रात रात भर,तेरी मेरी विरहाई,
रोम रोम में बेचैनी और आँखों में आँसू लाई,
आज फिर तेरी याद आई-२ !!
सावन बिता बारिश बीती,
झूलो के मौसम बीते-बीते,
दर्द छुपाये हँसी के पीछे,
खुद अपने जख्मो को सिते,
है सब कुछ पास मेरे,पर हाथ है फिर भी रिते-रिते,
अब साथ है मेरे सिर्फ तन्हाई,
रोम रोम में बेचैनी और आँखों में आँसू लाई,
आज फिर तेरी याद आई,आज फिर तेरी याई !!
अब तक याद है,मुझको वो मैसेज टोन,
जब तेरा मैसेज आता था,
मोबाइल मधुर आवाज में चिल्लाता था,
सुनकर उसकी चिल्लाहट,
मै नींद से उठ जाता था।
ना जाने क्यों की रुसवाई
रोम रोम में बेचैनी और आँखों में आँसू लाई,
आज फिर तेरी याद आई,आज फिर तेरी याद आई !!
कपिल जैन