रोते नही
रोते नहीं!
जिंदगी में इस तरह रोते नहीं,
जिंदगी को इस तरह ढोते नहीं।
सूरज रात में कहाँ चमकता है?
इसीलिए जुगुनू रात सोते नहीं।
पूरी कहाँ होती हैं मुरादें?
टूटते हैं ख्वाब तो रोते नहीं।
दुनिया जैसी दिखती है, है नहीं,
जैसा लोग बोलते हैं, होते नहीं।
मत इठला इतना देख जहां में,
सब सगे देख यहाँ होते नहीं।
बेचने को ईमान बेच देते हैं,
लेकिन सब दागदार होते नहीं।
जो कोई ख्वाब मन पालते नहीं,
वो किसी लायक यहाँ होते नहीं।
चील, कौए,गिद्ध क्यों बदनाम हैं,
एक समान दोस्त भी होते नहीं।
जो वतन के वास्ते जीते हैं,मरते हैं,
वो यहाँ कुछ देख खोते नहीं।