रोटी
जीवन की एक ही धुरी
चारों ओर रहे रोटी
जन्म मिला इन्साँ को जब
बस पेट को भरे रोटी
दूध लगे पीने बालक
तब उसको न खले रोटी
शान्त करे क्षुधा उदर की
सबसे मांग करे रोटी
दिन रात जुटा रहता नर
तलाश सदा रहे रोटी
कूड़ा करकट बीन रहा
केवल आस बने रोटी
पाप कर्म करता मानुष
आँखों सदा सजे रोटी