रोटी जो ना पास है
कहने को तो सब कहें, भगवन करें प्रणाम।
क्या केवल सम्मान से, चल जाएगा काम।।
हम भी तो इंसान हैं, करें ज्ञान का दान।
करोना की बेदी पर, आज हुए बलिदान।।
एक साल से बंद हैं, अपने तो स्कूल।
योगी जी के राज में, फांक रहे हैं धूल।।
मदिरालय है खुल गया, बंद पड़े स्कूल।
शिक्षा के पानी बिना, सूखे नन्हें फूल।।
फूलों संग माली भी, तड़प रहे हैं आज।
कैसे इसको हम कहें, अच्छे दिन का राज।
हम हैं कैसे जी रहे, जीवन के दिन चार।
बच्चे भूखे मर रहे, डूब रही पतवार।।
रोटी जो ना पास है, छोड़ रहे सब संग।
आखिर कब तक हम लड़ें, जीवन का यह जंग।।
मेरी सुध भी लीजिए, हे करुणा के नाथ।
“जटा” यही बस कह रहा, थामो सबका हाथ।।
जटाशंकर”जटा”
२३-०१-२०२१