रोटी चहिए, कपड़ा चहिए या मकां चहिए
रोटी चहिए, कपड़ा चहिए या मकां चहिए
ये चहिए, वो चहिए या फिर सारा जहाँ चहिए
चाह के हर रिश्ते बेमानी हैं आज के दौर में,
सिर्फ मां को पता है के तुम्हे क्या चहिए
-सिद्धार्थ गोरखपुरी
रोटी चहिए, कपड़ा चहिए या मकां चहिए
ये चहिए, वो चहिए या फिर सारा जहाँ चहिए
चाह के हर रिश्ते बेमानी हैं आज के दौर में,
सिर्फ मां को पता है के तुम्हे क्या चहिए
-सिद्धार्थ गोरखपुरी