रोटी, कपड़ा और मकान
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आम आदमी के तीन अरमान
मिले रोटी, कपड़ा और मकान।
जग में तीनों चीजें बड़ी महान,
जिनकी उंगली पर नाचे इन्सान।
भूख गरीबी से होकर परेशान,
देखो फाँसी पर चढ़ा किसान।
माँ की अस्मत बिकी दुकान,
खोया भाई-भाई की पहचान।
भूख ने तोड़ा कठोर पाशान,
बंजर में भी डाल देती जान।
कुछ कर्मयोगी, श्रमिक इन्सान,
इनके दुख से सब है अनजान।
लोगों ने खोया धर्म – ईमान,
चाहत बढ़ी बन गया बेईमान।
हाथों से रोटी छिन लेते हैवान,
सब सह जाते खामोश जुबान।
इनका हक छिन भरते गोदान,
और खुद बन बैठे हैं धनवान।
नेता माँगते वोट बघारते शान,
दूँगा रोटी, कपड़ा और मकान।
कुर्सी पाते घूमते खुद वायुयान,
जनता पर तनिक ना देते ध्यान।
सब को मिले खुशियाँ समान,
करो इस समस्या का समाधान।
???? –लक्ष्मी सिंह ?☺