रोटी और रोजगार
कालाधन वापस लाएंगे ।
अच्छे दिन वापस आएंगे।
कहकर आई ये सरकार।
सबकों रोटी और रोजगार दो
जनता मर रही भूखे प्यासे,
गरीब किसान सब है मुँह ताके
बैठे हैं सब आस लगाए – 2
सबको रोटी और रोजगार दो।
हमको शिक्षा और रोजगार दो।
लोकतंत्र से मुंह मत मोड़ो
मर्यादाओं को मत तोड़ो
जनता आस लगाए बैठी,
उसको तुम सम्मान दो
सबकों रोटी और रोजगार दो।
अपनी विरासत को सम्भालो
भले ही अपनी पगार बढ़ा लो।
जुमलों से पेट नहीं है भरता
सबमें है पूरी आहर्ता
सबकों रोटी और रोजगार दो
घर बैठे हैं बेरोजगार
ठप्प पड़ा है सारा व्यापार
पैरों में पड़ गए हैं छाले
खाने को हैं नहीं निवाले
किससे हम सब करें फरियाद
सबको रोटी और रोजगार दो।
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©®रवि शंकर साह, बैद्यनाथ धाम, देवघर ,झारखंड