रोटियां बड़ी बदनसीब होती है
रोटियां बड़ी बदनसीब होती है
रोटियों को वो रसोई नहीं मिलती
जिस रसोई को उनकी
कद्र और जरूरत होती है
रोटियों को उस मुंह का पता नहीं दिया जाता
जिस मुंह में पेट से निकली भूख
आग की तरह पसरी रहती है
जहां उनके कौर बन के गिरने से
देवता के चरणों में चढ़ने वाले
पुष्प हो जाने कि अनुभूति हो
जहां उनकी गोलाई की सेकाइ में
रक्त की आहुति दी जाती है
रोटियों को उस रसोई का पता दिया जाता
जहां उनकी कोई कद्र नहीं होती
जहां रोटियों की अंब्बार तो लगी होती है
पर भूख नीबलों में सिमटी हुई होती है
जहां रोटियां पेट में कम कूड़ेदान में ज्यादा जाती हैं
जहां रोटियों बोटियां नोच कर लाई जाती है
~ सिद्धार्थ