Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
18 Nov 2020 · 1 min read

” रोज “

“रोज”
*********************

जीवन निसिथ रश्मि जलकर
अंधियारे में धूप निकलती,
रोज जीवन की बाती बनकर
बैठ छांव में जिंदगी जलती !

देख विभावरी अस्त की ओर
रोज सुबह की लाली आती,
उषाकाल में दिनकर जगकर
रोज वक्त की बाती जलती !

एक पथ जाता अंधियारा चलकर
रोज दूसरे पथ पर रश्मिरथी आती,
जीव मौन अंकुरित जीवन पथ पर
समय धरा में प्रस्फुटित होती जाती!

जीवन पल दो पल परिधि की गाड़ी
एक से तम और दूजे से ज्योति आती,
निसिथ भोर मिलती जिस संगम पर
नव कलरव निस दिन धरा मचलती !

आह्वाहन सुन शंखनाद की
भृकुटि रवि की तन जाती,
जड़ चेतन चैतन्य धरा सब
जीवन पथ पर बढती जाती!

छितिज धरा स्वागत करती
फैला बाहे निज उषा आती,
कलरव कर सब पंछी जगते
धर्म पथ पर प्रकृति चलती !

सार बीज प्रस्फुटित बसुधा की गोद
समय धरा चीर नव पल्लव चलती,
नित आरोह जीवन कुन्ज की बेल
गोद ले बसुधा रोज सीचती जाती!

रोज रवि सा जलता श्रम साधक
कर्म पथ लहू सिराओ में जलती,
घिसती-मिटती लकिरे हाथों की
श्रम की तकदीरें अथक चलती !

मय डूबा मयखाने शाकी जाता रोज
डगमग-डगमग पावं पे हाला करती,
भरता और छलकता मधु का प्याला
गिरते-उठते कन्धों से मधुशाला चलती!

मधुमक्खी पुष्प आलिंगन होकर
करती अठखेली मकरंद चूसती,
ले परागकण मुख रोज है उड़ती
नित क्रिया छत्ते में मकरंद भरती!

नित प्रवाह जीवन नदी की धारा
बिसाहड़ा पूरन कालचक्र करती
कर्म पथ के योगी सुन सार क्षणी
सरण गहो तुम प्रभु कृपा हो जाती!

*****सत्येन्द्र प्रसाद साह (सत्येन्द्र बिहारी)*****

Language: Hindi
1 Comment · 475 Views

You may also like these posts

नाम या काम
नाम या काम
Nitin Kulkarni
दो इंसानों के बीच यदि किसी मतभेद के कारण दूरियां बनी हो और आ
दो इंसानों के बीच यदि किसी मतभेद के कारण दूरियां बनी हो और आ
shubham saroj
जन्नत
जन्नत
जय लगन कुमार हैप्पी
नींव में इस अस्तित्व के, सैकड़ों घावों के दर्द समाये हैं, आँखों में चमक भी आयी, जब जी भर कर अश्रु बहाये हैं....
नींव में इस अस्तित्व के, सैकड़ों घावों के दर्द समाये हैं, आँखों में चमक भी आयी, जब जी भर कर अश्रु बहाये हैं....
Manisha Manjari
चलते चलते
चलते चलते
ruby kumari
डॉ अरुण कुमार शास्त्री
डॉ अरुण कुमार शास्त्री
DR ARUN KUMAR SHASTRI
"भूल जाते"
Dr. Kishan tandon kranti
ना जाने ज़िंदगी में कई दाॅंव - पेंच होते हैं,
ना जाने ज़िंदगी में कई दाॅंव - पेंच होते हैं,
Ajit Kumar "Karn"
Thinking
Thinking
Neeraj Agarwal
बात के हो जादूगर इस अदा से उल्फत है ।
बात के हो जादूगर इस अदा से उल्फत है ।
Jyoti Shrivastava(ज्योटी श्रीवास्तव)
हिंदी लेखक
हिंदी लेखक
Shashi Mahajan
आजमाइश
आजमाइश
Suraj Mehra
परत दर परत
परत दर परत
Juhi Grover
आकांक्षा तारे टिमटिमाते ( उल्का )
आकांक्षा तारे टिमटिमाते ( उल्का )
goutam shaw
मत गुजरा करो शहर की पगडंडियों से बेखौफ
मत गुजरा करो शहर की पगडंडियों से बेखौफ
©️ दामिनी नारायण सिंह
प्राण प्रतिष्ठा
प्राण प्रतिष्ठा
Mahender Singh
8) “चन्द्रयान भारत की शान”
8) “चन्द्रयान भारत की शान”
Sapna Arora
ग़ज़ल _ मुहब्बत के दुश्मन मचलते ही रहते ।
ग़ज़ल _ मुहब्बत के दुश्मन मचलते ही रहते ।
Neelofar Khan
*बेटे भी प्यारे होते हैं*
*बेटे भी प्यारे होते हैं*
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
शूल ही शूल बिखरे पड़े राह में, कण्टकों का सफर आज प्यारा मिला
शूल ही शूल बिखरे पड़े राह में, कण्टकों का सफर आज प्यारा मिला
संजीव शुक्ल 'सचिन'
आज फ़िर कोई
आज फ़िर कोई
हिमांशु Kulshrestha
कुछ पन्ने मेरी जिंदगी के...। पेज न.2000
कुछ पन्ने मेरी जिंदगी के...। पेज न.2000
Priya princess panwar
हमारी चाहत तो चाँद पे जाने की थी!!
हमारी चाहत तो चाँद पे जाने की थी!!
SUNIL kumar
चैलेंज
चैलेंज
Pakhi Jain
💐फागुन होली गीत💐
💐फागुन होली गीत💐
Khaimsingh Saini
"पुरे दिन का सफर कर ,रवि चला अपने घर ,
Neeraj kumar Soni
आओ उर के द्वार
आओ उर के द्वार
PRATIBHA ARYA (प्रतिभा आर्य )
चौपाई छंद - हिंदी
चौपाई छंद - हिंदी
Sudhir srivastava
चांद भी आज ख़ूब इतराया होगा यूं ख़ुद पर,
चांद भी आज ख़ूब इतराया होगा यूं ख़ुद पर,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
*विश्व ध्यान-दिवस (कुंडलिया)*
*विश्व ध्यान-दिवस (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
Loading...