रोज रात जिन्दगी
रोज रात जिंदगी एक नए पहलू से रूबरू करवाती है,
लगता है कि अब प्रश्नों का अंत हुआ
तभी एक नए सवाल उठाती है।
सोचता हूं अब ज्यादा समझदार हो गया हूँ
जिंदगी की बारीकियों को सीख गया हूँ
तभी यह मुझसे अनजाने में ही
एक नए गुनाह करवाती है। रोज रात जिंदगी ……..
थककर चूर चूर निढाल होकर
जब आंखें मुंदनें सी लगती है
तभी यह पलकों पर आकर
एक नए सपने दिखाती है। रोज रात जिंदगी……..
बहुत हो गया यह हार-जीत का खेल
थोड़ा जिंदगी को जी लूं ,सजा लूं, सवांर लूं
तभी अचानक झकझोर कर यह
फिर से लड़ने को उसकाती है।
रोज रात जिन्दगी………