Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
19 Apr 2019 · 1 min read

रोज खिड़की के पास

रोज खिड़की के पास
आँखें मुंद कर
महसूस किया करती हुँ तुम्हें
और
भोर की सुनहली किरणों से
वादा किया करती हूँँ
मैं नहीं रोऊँँगी
सावन की बौछारें हो
या शीत की लहरें
मैं नहीं रोऊँगी
भीड़ हो या तन्हाई
घर हो या रास्ता
मैं नहीं रोऊँगी
पर
साँझ की लालिमा
होते – होते
वादा भरभरा कर
आँखों से टुटने लगता है
रोज खिड़की के पास ।
~रश्मि

Language: Hindi
1 Like · 365 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
पसरी यों तनहाई है
पसरी यों तनहाई है
Dr. Sunita Singh
है कौन झांक रहा खिड़की की ओट से
है कौन झांक रहा खिड़की की ओट से
Amit Pathak
युवा दिवस विवेकानंद जयंती
युवा दिवस विवेकानंद जयंती
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
◆केवल बुद्धिजीवियों के लिए:-
◆केवल बुद्धिजीवियों के लिए:-
*Author प्रणय प्रभात*
मौका जिस को भी मिले वही दिखाए रंग ।
मौका जिस को भी मिले वही दिखाए रंग ।
Mahendra Narayan
जाने वाले बस कदमों के निशाँ छोड़ जाते हैं
जाने वाले बस कदमों के निशाँ छोड़ जाते हैं
VINOD CHAUHAN
गौण हुईं अनुभूतियाँ,
गौण हुईं अनुभूतियाँ,
sushil sarna
"किसी की नज़र ना लगे"
Dr. Kishan tandon kranti
मातृशक्ति को नमन
मातृशक्ति को नमन
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
*अध्यापिका
*अध्यापिका
Naushaba Suriya
पापियों के हाथ
पापियों के हाथ
हिमांशु बडोनी (दयानिधि)
***
*** " पापा जी उन्हें भी कुछ समझाओ न...! " ***
VEDANTA PATEL
धरी नहीं है धरा
धरी नहीं है धरा
महेश चन्द्र त्रिपाठी
3266.*पूर्णिका*
3266.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
क्या कहे हम तुमको
क्या कहे हम तुमको
gurudeenverma198
*देखो मन में हलचल लेकर*
*देखो मन में हलचल लेकर*
Dr. Priya Gupta
पर्दा हटते ही रोशनी में आ जाए कोई
पर्दा हटते ही रोशनी में आ जाए कोई
कवि दीपक बवेजा
कोन ल देबो वोट
कोन ल देबो वोट
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
रोटी
रोटी
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
माँ-बाप
माँ-बाप
डॉ०छोटेलाल सिंह 'मनमीत'
!!! सदा रखें मन प्रसन्न !!!
!!! सदा रखें मन प्रसन्न !!!
जगदीश लववंशी
18- ऐ भारत में रहने वालों
18- ऐ भारत में रहने वालों
Ajay Kumar Vimal
विचार
विचार
Godambari Negi
वो लड़की
वो लड़की
Kunal Kanth
डॉ अरूण कुमार शास्त्री
डॉ अरूण कुमार शास्त्री
DR ARUN KUMAR SHASTRI
*अज्ञानी की कलम*
*अज्ञानी की कलम*
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
हरे! उन्मादिनी कोई हृदय में तान भर देना।
हरे! उन्मादिनी कोई हृदय में तान भर देना।
सत्यम प्रकाश 'ऋतुपर्ण'
बस एक गलती
बस एक गलती
Vishal babu (vishu)
बचपन,
बचपन, "बूढ़ा " हो गया था,
Nitesh Kumar Srivastava
स्त्री मन
स्त्री मन
Vibha Jain
Loading...