रोज आते कन्हैया_ मेरे ख्वाब मैं
रोज आते कन्हैया_ मेरे ख्वाब मैं
प्रेम के गीत वो_ गुनगुनाते नही
जाने क्या हो गया है उन्हे आजकल
तान बंशी की अब वो सुनाते नही
आज रो रो के उनसे कहे राधिका
मैं बुलाती हूं वो पास आते नही
रोज छूने से जिनके था मिलता सुकूं
अपने दिल से मुझे वो लगाते नही
राह तकती रहूं मैं तेरी रात दिन
मैं बुलाती मगर श्याम आते नही
कृष्णकांत गुर्जर धनौरा