रोजगार चाहिए , नौजवानों को
दिनांक 13/6/19
विधा छंदमुक्त कविता
भटकता नौजवान
शहर शहर गली गली
उम्मीदों के महल
न ठौर न ठिकाना
लुहावने मज़मून
न सांस लेने को
न बाहर निकलने को जगह
बस सब कुछ है दांव पर
मिलेगा एडमिशन
किसी नामी कालेज में
या मिलेगी नौकरी
अब तो निकालो हल
बेरोजगारी का
हर जगह खोल दो
रोजगारमूलक सेन्टर
भारत का
हर नौजवान बढ़े
एक दिशा में
न हो भटकाव
न हो बोझ माता पिता पर
स्वलिखित
लेखक संतोष श्रीवास्तव भोपाल