*रोग से ज्यादा दवा, अब कर रही नुकसान है (हिंदी गजल)*
रोग से ज्यादा दवा, अब कर रही नुकसान है (हिंदी गजल)
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1)
रोग से ज्यादा दवा, अब कर रही नुकसान है
अस्पतालों में गया, अक्सर गया शमशान है
2)
दृष्टि में धनवान की, केवल धनिक होते मनुज
जो गरीबी से भरा, होता कहॉं इंसान है
3)
यदि शिकंजे में फॅंसे, तो बच न पाओगे कभी
श्रेष्ठ अपने देश में, निष्पक्ष न्याय-विधान है
4)
गुप्त बातें आपकी, दिल में नहीं रह पाईं जब
क्या रहेंगी अब भला, अब तो पराया कान है
5)
वह जमाने लद गए, जब दान विद्या-दान था
दान से बढ़ आजकल, यह कार्य एक दुकान है
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रचयिता: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा ,रामपुर ,उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997615451