रोक लें महाभारत
जानती हूँ
हाँ-हाँ! जानती हूँ
किसने दिया था शाप
सगर के पुत्रों को
जानना चाहते हो तो जान लो
उन्हें शापित किया था
सत्ता के अहंकार ने
दम्भ ने
और मिथ्याभिमान ने
कर दिया था भस्मीभूत।
सत्ता की गांधारी ने जाए हैं
भ्रष्टाचार के सौ-सौ पुत्र
जो नित्य ही
करते हैं चीर हरण
पंचशील की द्रौपदी का
और भुतना पड़ता है परिणाम
इस या उस पक्ष के
इष्ट-मित्रों
समर्थकों, सेवकों और
अनुयायिओं को
युगों-युगों तक
और होता है एक महाभारत।
जिस तरह चुकाया था ऋण
सगर पुत्रों के दम्भ का
उसकी भावी पीढ़ियों ने
युगों-युगों तक गंगावतरण हेतु
करके घोर तप
धेया था उनका पाप
या फिर
भुगतना पड़ा था दण्ड
राजा भागीरथ को
उनके वंश में जन्म लेकर
साथियो! जान लो
सत्ता मद में चूर सगर पुत्र
जब-जब करते हैं
मिथ्या दोषारोपण
किसी कपिल मुनि पर
तब-तब होते हैं शापित और
भस्मीभूत
किन्तु बच निकलता है
असली किन्तु चतुर दोषी इन्द्र
जो सदा ही चुरा ले जाता है
हमारे-तुम्हारे
सत्कर्मो का अश्व
आज आवश्यकता है कि तलाशें
उस इन्द्र को
जिसने तुम्हें,
तुम्हारी पीढ़ियों को
होने पर विवश किया है शापित
खोल डालें आओ
न्याय की गांधारी की
आँखों पर बंधी पट्टी
और बचा लें
इधर-उधर की सात पीढ़ियों को
शापित होने से
रोक लें एक नया महाभारत