रोक दो ये पल
एक दो पल रुके और चल दिये
रोक दो ये पल क़यामत तक के लिए
जी लेने को पल ही काफ़ी है
कौन जीता है यहाँ मुद्दतों के लिए
हंसने को एक लम्हा काफ़ी है
अरसा निकला है इस ख़ुशी के लिये
कहाँ जाएँगे जिनके घर नहीं होते
दुनियाँ तमाशा है बेरोज़गार के लिए