“रैन”पर हाइकु का प्रयास—-
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रैन कहानी
मयंक की रवानी
भोर सुहानी।
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उदित रवि
पदचाप भोर की
मुदित मन।
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ब्रह्म मुहूर्त
प्रफुल्लित प्रकृति
उजली भोर।
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भोर लालिमा
है प्रदीप्त क्षितिज
रंग सिन्दूरी।
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खग चहके
खलिहान लहके
भोर महके।
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रंभाती गैया
घंटी देवालय की
भोर संगीत।
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जागी उमंगें
जीवन में तरंगें
हो गयी भोर।
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रंजना माथुर
अजमेर (राजस्थान )
मेरी स्व रचित व मौलिक रचना
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