रे मन
२१)
“ रे मन “
रे मन
अब तू मेरी भी सुन
बहुत सुना तुझे
अब मैं बोलूँगी
और तू सुनेगा
तो सुन
अब नये सपने तू बुन
मत सोच क्या है ये उधेड़बुन
रे मन , सुन
ये जो कायनात है
हमारी सहचरी है
हम जैसा सोचे
वह उसे दोहराती है
विपदा तो आयी है भारी
कोरोना की यह महामारी
पड़ने ना देंगे इसको भारी
पर हर समस्या की तरह
हल है इसका भी
और वह यह है कि
घर में ही रहना है
बार-बार हाथ धोना है
पर इन सबसे भी ज़्यादा
बार बार बोलना है
हे प्रभु मैं स्वस्थ हूँ
मेरा परिवार स्वस्थ है
राज्य स्वस्थ है
देश स्वस्थ है
विश्व स्वस्थ है
कोई बीमार नहीं
कोई लाचार नहीं
फिर देखना कमाल
कायनात इसे दोहराएगी
लौटाकर इसे लाएगी
सब होंगे स्वास्थ्य
यही इसका तथ्य
बना लें इसको तू धुन
रे मन
अब तू मेरी भी सुन
स्वरचित और मौलिक
उषा गुप्ता इंदौर