रे मनुवा!
क्या लेकर आया है रे,
क्या लेकर जाएगा,
रे मनुवा एक दिन,
सब कुछ यहीं पर छूट जाएगा!
नई नई, पहचान लेकर,
छोटी सी जान लेकर,
मैं यहां पर आया रे,
नाम वाम नाते रिश्ते,
मैंने यहीं पाया है,
नन्ही सी जान लेकर,
मैं यहां पर आया रे!
नाम वाम नाते रिश्ते,
यहीं धरे रह जाएंगे,
खाली हाथ आया था रे,
खाली हाथ जाएंगे,
रे मनुवा एक दिन,
सब कुछ यहीं पर छोड़ जाएंगे!
छोटी सी थी काया मेरी,
यहीं पर विस्तार पाया है,
घर मिला, परिवार मिला,
यहीं पर संसार बसाया है,
माता का प्यार पाया,
पिता का दुलार भी,
भाई बहन का स्नेह पाकर,
खुशियां भी यहीं पर छाई थी,
भार्या को भी यहीं पाया मैंने,
संतान भी पाई है,
छोटी सी कुटिया मेरी,
खुब लहलहाई है,
अब क्या पाना है मुझको,
इतना कुछ तो पा लिया,
जितना चाहा था मैंने,
उसको हासिल किया,
अब ना है कोई चाहत,
ना कोई भार है,
खाली हाथ आया था मैं,
ना ही कुछ ले जाने का विचार है!
यही तो मैं समझा रहा था,,
क्यों तेरा मन भटक रहा,
किस बात पर है अटक रहा,
हां नाम भी पाया तुने,
रिश्ते भी यहीं निभाएं हैं,
लेकिन ये ही सब अब,
होने वाले पराए हैं,
ये ही अब लेके तुमको,
जाने को तैयार खड़े,
थोडे से आंसुओं में,
हैं भुलाने को तैयार हुए,
अब तु ही बता रे मनुवा,
क्या कुछ कर के हो जा रहे,
जिन नाते रिश्ते में उलझा रहा,
वे ही तुझको जला रहे,
मैं फिर से पुछ रहा रे,
क्या लेकर आया है,
और क्या लेकर जाएगा,
रे मनुवा एक दिन,
सब कुछ यहीं पर छूट जाएगा!
मन ही मन मैं सोच रहा,
क्यों कर यहां पर आया मैं,
क्या ये ही सब कुछ करना था मुझको,
या फिर कुछ और भी करना है,
बस इसी बात को लेकर मैं,
अब कुछ करना चाह रहा ,
जो कर सका ना भला किसी का,
तो ना बुरा ही करके जाना है,
रे मनुवा,, अब तो,
मुझे कुछ अच्छा ही कर जाना है!!