रेशम जैसे रिश्ते
*** रेशम जैसे रिश्ते ***
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रेशम की डोर जैसे हैं होते
जिंदगी के ये नाजुक रिश्ते
खींचों,तो झट टूट जाते हैं
छोड़ें तो ढ़ीले पड़ जाते हैं
प्रेम से सींचे जाते है रिश्ते
बड़ी जद्दोजहद से निभते
दुश्मनी में कट मर जाते हैं
नफरतों में बिखर जाते हैं
विश्वास से फलते फूलते हैं
अविश्वास से सदा टूटते हैं
संभालने से खिल जाते हैं
बिगाड़ने से बिगड़ जाते हैं
मोलभाव में नहीं बिकते हैं
मनमुटाव में सदा मरते हैं
तनाव में सदा तन जाते हैंं
तन्हाई में खूब याद आते हैं
सुखविंद्र रिश्ते ही जीवन है
साथ जुड़े होते आजीवन है
संवारने से ये संवर जाते हैं
टटोलने से ये मिल जाते है
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)