रूह
📖✒️जीवन की पाठशाला 📙🖋️
जीवन चक्र ने मुझे सिखाया की मन की सुंदरता को कोई नहीं देखता लेकिन तन की सुंदरता सबको आकर्षित करती है ख़ास कर महिला वर्ग में ,ज्यादा सुन्दर हो तो दुनिया की निगाहें -हाव भाव सताते हैं और सुन्दर ना हों तो इसी दुनिया के ताने ..काश कोई रूह तक झाँक पाता …,
जीवन चक्र ने मुझे सिखाया की आप कितनी भी कोशिश कर लो हर घड़ी हर समय हर पल सबको खुश नहीं रख सकते ,कौन कब कैसे कोई अपना बेवजह रूठ जाये इंतजार कीजिये …,
जीवन चक्र ने मुझे सिखाया की अगर अपने आप को प्रसन्नचित प्रफुल्लित रखना है तो कृपया सामने वाले से उम्मीद की अपेक्षा ना करें …उसमें भी ख़ास कर जब वो अपना कोई हो …,
आखिर में एक ही बात समझ आई की जिस प्रकार किसी भी पात्र के भर जाने पर नल बंद करना है जिससे व्यर्थ ही पानी का दुरुपयोग एवं अपव्यय ना हो उसी प्रकार किसी को भी एक हद तक ही समझाना चाहिए क्यूंकि हर किसी के मस्तिष्क की भी एक सीमा है ग्रहण करने की और यदि गलती से सामने वाला अपने आप को स्वयंभू सर्वज्ञाता घोषित करता रहता हो तो फिर मौन हो जाने में ही भलाई है …!
बाकी कल ,खतरा अभी टला नहीं है ,दो गई की दूरी और मास्क 😷 है जरूरी ….सावधान रहिये -सतर्क रहिये -निस्वार्थ नेक कर्म कीजिये -अपने इष्ट -सतगुरु को अपने आप को समर्पित कर दीजिये ….!
🙏सुप्रभात 🌹
स्वरचित एवं स्वमौलिक
आपका दिन शुभ हो
विकास शर्मा'”शिवाया”
🔱जयपुर -राजस्थान 🔱