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14 Nov 2018 · 1 min read

रूह की चीखें जिस्म के कमरे में..

दिल पर तेरी याद का पहरा रहता है
लब पर तेरा नाम क्यों ठहरा रहता है

यार मुहोब्बत ने मुझको आबाद किया
फिर भी मुझमें खाली सहरा रहता है

दीद हुआ उनका तो जाना जिंदा हूं
वरना मुझमें मौत का डेरा रहता है

रूह की चीखें दफ़्न है जिस्म के कमरे में
क्यों मेरी आवाज पर पहरा रहता है

दूर दिखाई रोज उजाला देता है
पास में लेकिन रोज अंधेरा रहता है

आँख में आंसू हो या तन्हाई दिल में
लब पर तेरी याद का पहरा रहता है

मुझको कब तक रोकेंगे हालात मेरे
उम्मीदों का साथ सवेरा रहता है

3 Likes · 1 Comment · 382 Views
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