रूह की आस
अरसा गुजर गया
चमन को उजड़े हुए
तेरी सांसों की महक
आज भी है ।
घने पेड़ों के
लम्बे सायो मे
गुजरे लम्हो की परछाई
आज भी है ।
तेरे प्यार के
अल्फाज की गूंज
उन वादियों मे
आज भी है ।
जिस्म राख हो जायेगा
तुझे मिलने की
रूह को आस
आज भी है ।।
राज विग 31.05.2020.