रूह का रिश्ता
-रूह का रिश्ता
अति प्यार करती मुझको,तुम हो मेरी प्यारी मॉं ,
कष्ट सहकर मुझ को,सकुशल संसार में लाती मॉं,
करुणा दया का लहराता सागर कहलाती मेरी मां ,
सीनेसे चिपटा बचपन के सपनों को रोज सजाती थी मॉं ,
सुलाकर गोद में मधुर वाणी से लोरी सुनाती मेरी मां,
आंचल की कोर थमाकर दुनिया की सैर कराती मॉं ,
ममता से भरकर हरपल स्नेह खूब लुटाती मेरी मॉं,
सहकर सब गम मेरे खातिर मुस्करा जाती मेरी मां,
दुख ना हो मुझ को जरा सा भी ऐसा जतन करती मां,
आंखों से तनिक ओझल हो जाता तो छटपटा जाती मेरी मां,
फिक्र मेरी रहती,चूम कर माथा मेरा उर से लिपटा लेती मां,
तेरी स्मृतियां मां मुझे महान बनाती हां!!
तेरा साहस ,तेरा धैर्य,तेरा अहसास मुझे सोपान चढ़ाते मां,
एक तू ही तो भगवान मेरी हो,हरपल आशीष लुटाती मॉं ,
मां बच्चे का रूह का रिश्ता अटूट बंधन में बंध जाती मां।
-सीमा गुप्ता अलवर राजस्थान