***” रूहानी मदद ***
।। ॐ श्री परमात्मने नमः ।।
*** रूहानी मदद ***
शिवपुर शहर में तालाब के किनारे एक कुटिया थी जिसमें फकीर बाबा रहते थे उस तालाब के किनारे रँग बिरंगे फूलों की बगीचा भी लगा हुआ था तालाब के किनारे बहुत से पशु पक्षी विहार करने आते थे और आसपास मौजूद बेहद खूबसूरत अदभुत नजारा शांत वातावरण था । प्राकृतिक शुद्ध वातावरण के कारण लोगों का आना जाना लगे ही रहता था।
मोहन अक्सर फकीर बाबा के दर्शन करने जाया करता लेकिन कुछ कारणवश बहुत दिनों से बाबा के पास नही गया था एक दिन अचानक रास्ते में विचार आया कि फकीर बाबा के दर्शन कर आता हूँ फिर मन में सोचा खाली हाथ कैसे जाऊं ….? ? ?
वही जाते समय रास्ते से ताजे संतरे लिए और फकीर बाबा की कुटिया में पहुँच कर बाबा के दर्शन करके उन्हें संतरे भेंट किये लेकिन संतरे को देखकर बाबा ने कहा – ये कैसे संतरे लाये हो ये संतरे जहाँ से लाये हो वही पर वापस करके आओ और मैं जहाँ से कहता हूँ वहां से संतरे लेकर आओ ….
कुटिया के पास ही शनि मंदिर है वहां पर फुटपाथ में एक बुजुर्ग संतरे बेच रहा है वहाँ से संतरे खरीद कर लाओ ।
मोहन ने बाबा के कहे अनुसार अपने लाये हुए संतरे को वापस करके बाबा के बताये गये स्थान पर गया वहां उसने देखा कि मैले फ़टे वस्त्र पहने हुए बूढ़ा सा व्यक्ति संतरे बेच रहा था
मोहन ने संतरे खरीदे और फकीर के पास पहुंचा तो बाबा बड़े खुश हुए और कहने लगे वाह बहुत बढ़िया संतरे है चलो हम दोनों मिलकर इस संतरे को खाते हैं संतरे खाते ही फकीर ने कहा – बहुत ही मीठे संतरे है ….! ! !
मोहन फकीर का आशीर्वाद प्राप्त कर घर वापस लौट आया और वह सारी घटनाओं को गहराई से सोचने लगा ….? ? ?
आखिर ऐसी क्या वजह थी कि मेरे द्वारा लाये गये ताजे फलों को वापस लौटा कर उस बूढे व्यक्ति के पास से लाये गए संतरे फकीर बाबा को बेहद पसंद आये इसके पीछे जरूर कोई रहस्य छिपा हुआ है शायद फकीर बाबा जी त्रिकालदर्शी होंगे अपनी ध्यान साधना द्वारा उस बूढे व्यक्ति की आर्थिक स्थिति को जानकर जरूरत मंद की तकलीफ दूर करने के लिये “रूहानी मदद” करने का इशारा है और फकीर ने उस व्यक्ति की गुहार सुनकर मदद की यही रूहानी मदद ईश्वर की इबादत है …
स्वरचित मौलिक कथा संग्रह ??
***शशिकला व्यास ***
#*# भोपाल मध्यप्रदेश #*#