रूहानियत –
रूहानियत –
खोयी हवाओं में ख़्वाब ढूँढता हूँ
अपने लिए दुआ, तेरी इनायत ढूँढता हूँ
सूफ़ी हूँ औरों में सूफ़ियत ढूँढता हूँ
उसकी रहमत है अब मैं इबादत ढूँढता हूँ
छूने से ही आँखों की चमक ढूँढता हूँ
नाम लेते ही उसका असर ढूँढता हूँ
सोंचने से ही उनके अज़मत ढूँढता हूँ
मैं पागल हूँ जो ख़ुद में अब रब ढूँढता हूँ
मैं मुफ़लिस हूँ शुआ-ए-सहर ढूँढता हूँ
मैं पैकर में जीवन का रंग ढूँढता हूँ
बंद आँखों के अंधेरे में उजाला ढूँढता हूँ
और बाहर उजाले में तेरा दर ढूँढता हूँ
मैं कोशिश हूँ ,यतीश हूँ -हारूँगा नहीं
राही हूँ ,पथिक हूँ – मैं रूंकूँगा नहीं
निदा तुझसे ही सिखा है जीने का सबक़
अब बच्चों की हँसी में अपना हल ढूँढता हूँ
हाँ मुझको पता है हूँ किसके सहारे
है कौन सबका दाता और कौन पालनहारे
है किनकी इनायत , और किससे बहारें
नादान हूँ रब मैं जो तेरा असर ढूँढता हूँ
अज़मत=इज़्ज़त गौरव
शुआ-ए-सहर- सुबह की किरण
यतिश १२/९/२०१६