रूलाये गीत अब तेरे बहुत है
रूलाये गीत अब तेरे बहुत है
पुरानी याद के ताजे बहुत है
खुशी सारी उजड़ती ही रही पर
मुहब्बत के यहाँ साये बहुत है
गगन में गागरे भरती निशा जब
तले अम्बर सजे जलसे बहुत है
सितारों चाँद से है आसमां यह
उजालों के घरों काले बहुत है
बिना पैसे न आयेगे रास मेले
खरीदे वस्तु सब मंहगे बहुत है
अकेले देख विधु को जब चमकते
निभा ले चाँदनी वादे बहुत है
गरीबों का उदर भरता नहीं जब
कटे बस जिन्दगी फांके बहुत है