रूमानी ग़जल
रूमानी ग़ज़ल
212 212 212 212
हर तरफ हर जगह आप ही आप हैं।
दूर भी आप हैं, पास भी आप हैं।
झल-झलाती हुई शर्म खाती हुई,
मरमरी सा बदन वाह क्या छाप हैं।
पेश है बादिया धड़कने आपको,
आपकी दौड़ती रक्त की चाप हैं।
क्या सिखा आप से आब-ए-आईना,
चांद की चांदनी आज चुपचाप हैं।
कौन-सी रात ‘हम’ रह गये साथ में,
इस बदन में भरा ताप ही ताप हैं।
बादिया= प्याला।
रूमानी= प्रेम-प्रसंग वाला।
आब-ए-आईना= दर्पण की चमक।
Rishikant Rao Shikhare
01-07-2019