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13 Nov 2020 · 1 min read

रूप

करें
कर्म ऐसे
बनें सौंदर्य
जीवन में

शारीरिक
रूप है क्षणिक
रहता
अच्छा कुशल
व्यवहार
ता जीवन
रूप हमारा

करना
माता पिता गुरू
का सम्मान
है विशेषता
इन्सान की
है यही
असली सौंदर्य
इन्सान का

नहीं देखता
रूप मौला
है उसका
बस वही शागिर्द
चले
जो नेक ईमान
की राह पर

मांगता है
फकीर झोली
फैला कर
दे दुआओं की
नियामत इतनी
पड़ जाये
रूप फीका
फकीर का

स्वलिखित
लेखक संतोष श्रीवास्तव

अपने कर्मों से

Language: Hindi
2 Comments · 308 Views
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