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21 Dec 2021 · 1 min read

रूपया क्यों सस्ता है अब भी दिनार से

हल्की फुल्की पतली सी एक दरार से
ताकता रहता हूँ दुनियाँ को इस पार से

दरिया बहाकर ले जाता है अपने साथ
कट कर गिरती है जो मिट्टी किनार से

पलभर मे ये इतनी भीड़ कहाँ से आई
किसी ने तो किया था ऐलान मिनार से

वो दिन गुजर गए हैं नगद की बात कर
दिल भर चुका है कब का तेरे उधार से

डालर की बात करने वालों जरा बताओ
रूपया सस्ता क्यों है अब भी दिनार से
मारूफ आलम

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