रूपमाला
रूपमाला
फूस की है नींव जिस पर, मोम की दीवार।
आँसुओं के साथ अरमां, कर रहे चीत्कार।
और क्या-क्या देखना है, हे जगत-कर्तार !
देख कितना दर्द हमको, दे रहा संसार।
© सीमा अग्रवाल
मुरादाबाद
रूपमाला
फूस की है नींव जिस पर, मोम की दीवार।
आँसुओं के साथ अरमां, कर रहे चीत्कार।
और क्या-क्या देखना है, हे जगत-कर्तार !
देख कितना दर्द हमको, दे रहा संसार।
© सीमा अग्रवाल
मुरादाबाद