रूपमाला छंद
?
!! श्री !!
?
(रूपमाला छंद)
***********
शारदे माता हमारी, आप रखिये लाज ।
लाल तेरे आज मैया, दे रहे आवाज ।।
छंद का माँ ज्ञान दे दो, रच सकें हम गीत ।
काव्य से आनंद छलके, गीतिका से प्रीत ।।
*
कर सको तो प्रेम कर के, जीत लो संसार।
हार में भी जीत देता, प्यार का व्यापार ।।
प्यार की दौलत अनूठी, लूट भर लो कोष ।
गूँजना है हर दिशा में, प्यार का उद्घोष ।।
*
राधे…राधे….!
?
महेश जैन ‘ज्योति’,